क. हम पंछी उन्मुक्त गगन के पाठ में स्वतंत्रता और मुक्ति की अहमियत की बात करते हैं।
ख. काका कालेकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है? क्योंकि वे समूचे जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं और सभी मां की तरह संतुष्टि देती हैं।
ग. हिमालय अपनी बेटियों को लेकर परेशान है क्योंकि सामाजिक रूप से उन्हें लड़कों से कम महत्व दिया जाता है और जनसंख्या नियंत्रण के चलते उनकी हत्या होती है।
घ. पक्षी पिंजरे में रहकर उन्हें खुली हवा, झूला या पूर्ण फ्लाइट जैसी सामाजिक गतिविधियों से वंचित किया जाता है।
वर्ण-विच्छेद:
क. नेतृत्व - ने-तृ-त्व
ख. सहूलियत - स-हू-लि-यत
ग. पंछी - पं-छी
घ. क्षमा - क्ष-मा
दिए गए प्रश्नों के उत्तर 30-35 शब्दों में दीजिए-
क. हम पंछी उन्मुक्त गगन के पाठ में निहित संदेश लिखिए। ख. काका कालेकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है? ग. हिमालय अपनी बेटियों को लेकर परेशान क्यों है?
घ. पक्षी पिंजरे में रहकर क्या-क्या नहीं कर पाएंगे 3. दिए गए शब्दों का वर्ण-विच्छेद कीजिए-
क. नेतृत्व
ख. सहूलियत
ग. पंछी =
घ. क्षमा =
5 answers
Write a paragraph on meri priy pustak and parishram safalta Ki kunji in hindi in 100-150 words
Meri priy pustak "Gunahon Ka Devta" hai, jise Dharmveer Bharti ne likha hai. Isme jeevan ke bahut si katranak aur samvedansheel pahlu darshaye e hai. Main is pustak ko bahut pasand karta hu kyunki isme katha ki prachandta ko samajik aur vyaktigat prashn dvara bhi vyakhya kiya a hai.
Parishram safalta ki kunji hai. Jeevan mein safalta ke liye parishram bahut zaroori hai. Parishram se sirf safalta nahi milti balki man mein vishwas aur shraddha ki bhi vridhi hoti hai. Parishram safalta ka ek mukhya ang hai. Agar hum parishram ke sath-sath apar shraddha aur vishvas rakhenge to man ki shanti aur sukoon pa sakte hai. Koi bhi kaam bina parishram ke sambhav nahi hai. Aur agar hamare andar parishram karne ki ichha hai to ham safalta ko bina kisi mushkil se prapt kar sakte hai. Isliye hamara aaj se hi yeh prayas hona chahiye ki ham apna parishram badate jayein aur safalta hasil karein.
Parishram safalta ki kunji hai. Jeevan mein safalta ke liye parishram bahut zaroori hai. Parishram se sirf safalta nahi milti balki man mein vishwas aur shraddha ki bhi vridhi hoti hai. Parishram safalta ka ek mukhya ang hai. Agar hum parishram ke sath-sath apar shraddha aur vishvas rakhenge to man ki shanti aur sukoon pa sakte hai. Koi bhi kaam bina parishram ke sambhav nahi hai. Aur agar hamare andar parishram karne ki ichha hai to ham safalta ko bina kisi mushkil se prapt kar sakte hai. Isliye hamara aaj se hi yeh prayas hona chahiye ki ham apna parishram badate jayein aur safalta hasil karein.
In hindi spellings you have to write
मेरी प्रिय पुस्तक "गुनाहों का देवता" है, जिसे धर्मवीर भारती ने लिखा है। इसमें जीवन के बहुत से कटरनक और सम्वेदनशील पहलु दर्शाए गए हैं। मैं इस पुस्तक को बहुत पसंद करता हूं क्योंकि इसमें कथा की प्रचंडता को सामाजिक और व्यक्तिगत प्रश्न द्वारा भी व्याख्या किया गया है।
परिश्रम सफलता की कुंजी है। जीवन में सफलता के लिए परिश्रम बहुत ज़रूरी है। परिश्रम से सिर्फ सफलता नहीं मिलती बल्कि मन में विश्वास और श्रद्धा की भी वृद्धि होती है। परिश्रम सफलता का एक मुख्य अंग है। अगर हम परिश्रम के साथ-साथ अपार श्रद्धा और विश्वास रखेंगे तो मन की शांति और सुकून पा सकते हैं। कोई भी काम बिना परिश्रम के सम्भव नहीं है। और अगर हमारे अंदर परिश्रम करने की इच्छा है तो हम सफलता को बिना किसी मुश्किल से प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए हमारा आज से ही यह प्रयास होना चाहिए कि हम अपना परिश्रम बढ़ाते जाएं और सफलता हासिल करें।
परिश्रम सफलता की कुंजी है। जीवन में सफलता के लिए परिश्रम बहुत ज़रूरी है। परिश्रम से सिर्फ सफलता नहीं मिलती बल्कि मन में विश्वास और श्रद्धा की भी वृद्धि होती है। परिश्रम सफलता का एक मुख्य अंग है। अगर हम परिश्रम के साथ-साथ अपार श्रद्धा और विश्वास रखेंगे तो मन की शांति और सुकून पा सकते हैं। कोई भी काम बिना परिश्रम के सम्भव नहीं है। और अगर हमारे अंदर परिश्रम करने की इच्छा है तो हम सफलता को बिना किसी मुश्किल से प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए हमारा आज से ही यह प्रयास होना चाहिए कि हम अपना परिश्रम बढ़ाते जाएं और सफलता हासिल करें।